*#समाज की उन्नति के लिए गांव के परिवारों में जो मनमुटाव है, उसको खतम कर, उनको संघटित करने की आवश्यकता है#*

बड़ी खुशी की बात है कि आज सोशल मीडिया के माध्यम से जगह-जगह पर चेतना आ रही है, जागरण हो रहा है, समाज के युवा वर्ग एवं मातृशक्ति समाज में रुचि लेने लगे हैं, और हमारी समाज लगातार प्रगति कर रही है, हमारे समाज में कई लोग अच्छे पदों पर पहुंचने लगे हैं, कई छात्र-छात्राएं खेल एवं शिक्षा में सम्मानित हो रहे हैं, समाज में कई प्रतिभावान छात्र-छात्राएं की संख्या बढ़ रही हैं, अभी भी समाज में कई सच्चे समाज सेवक है जो निरंतर निस्वार्थ भाव से समाज के उत्थान के लिए लगे हुए हैं, हर व्यक्ति समाज में समय नहीं दे सकता है लेकिन जो कर रहे हैं, उन पर शक करते हैं या उनके मनोबल को तोड़ने का प्रयास करते हैं यदि कोई समाज सेवा कर रहा है तो उसका मनोबल नहीं बढ़ा सकते हैं तो कम से कम उनके मनोबल को तोड़ना भी नहीं चाहिए, अब बात करते हैं जो कि जमीनी हकीकत पर हम देखते हैं तो समाज के प्रत्येक ग्राम में, अधिकतर  परिवार में सामंजस्व नहीं है, यह समस्या समाज के कई गांव में है आपस में मनमुटाव है, परिवार में एक दूसरे से लड़ाई झगड़े हैं, एक दूसरे के घर नहीं जाते हैं, एक ही गांव के एक ही परिवार के लोग आपस में बातें नहीं करते हैं, यह समाज के लिए बड़ी विडंबना है, इससे उनको फायदा तो कुछ नहीं है, लेकिन नुकसान बहुत है दूसरे लोग उनमें फूट डालते हैं परिवार को तोड़ देते है, गांव में कई ग्रूप बन जाते हैं, और समाज बट जाता है अलग अलग टुकड़ों में और दूसरे लोग हर तरह से उनका फायदा उठाते हैं, राजनेता लोग भी उनका शोषण करते हैं, समाज की उन्नति के लिए सबसे बड़ी बाधा है, जब गांव के ही लोग गांव के ही परिवार के लोग आपस में संगठित नहीं रहेंगे तो जो समाज मैं उन्नति होना चाहिए, जो तरक्की होना चाहिए, उसमें बहुत समय लग जाएगा, अब उनमें आपस में सामंजस्य, आपस में उनको संगठित कैसे किया जाए, गांव के जो परिवार आपस में संगठित नहीं है, आपस में द्वेष भावना है, एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या है, एक दूसरे की तरक्की नहीं देख सकते, यह समाज के लगभग गांव में समस्या बनी हुई है, ऐसे परिवारों को संगठित करने, उनकी समस्याओं को सुनकर, उनकी समस्याओं को हल कर आपस में भाईचारा बनवाएं, सामाजिक संगठन को विचार करना चाहिए, समाज में कोई सुधार करना है या समाज में कोई नए नियम लागू करना है तो उसके लिए समाज में एक व्यवस्था रखी गई है जिसको संगठन कहते हैं, तो समाज के जितने भी संगठन है उनको इस विषय पर विशेष ध्यान देना चाहिए और जिले के प्रत्येक ग्राम में जाकर दोनों पक्षों से बातें सुनकर उनको आपस में संगठित करें उनमें आपस में सामंजस्व बनवाएं है क्योंकि एक संगठन ही है जो यह कार्य कर सकता है, समाज में जो भी सुधार करना हैं, या नए नियम लागू करना है, वह संगठन के द्वारा ही संभव है, समाज का एक आम व्यक्ति यदि समाज में सुधार करने की बात कहेगा तो उसकी बात कोई नहीं मानेगा, लेकिन संगठन द्वारा, ट्रस्ट द्वारा कोई समाज सुधार किया जाता है, सर्कुलर निकाला जाता है तो उनकी बात सभी मानते हैं, यदि कोई नहीं मानता है तो उस पर समाज द्वारा दंडित भी किया जा सकता है, इसलिए मैं सभी समाज के संगठनों से विनम्र निवेदन करना चाहता हूं कि समाज के जो पुराने रीति रिवाज है, या समाज में सुधार के कार्य हैं उन उन विषयों पर चिंतन कर अलग अलग संगठन, अलग-अलग मुद्दों पर कार्य करेंगे तो समाज में बहुत ही जल्दी सुधार हो जाएगा और समाज जल्द ही उन्नति की ओर अग्रसर हो जाएगा, कई वरिष्ठजनों का कहना है कि जो लोग समाज के बारे में सोच रहे हैं या कुछ बात बोलते हैं तो वह बोलते ही की आप लोग शुरुआत कर दीजिए, तो कोई भी आम आदमी की बात नहीं मानते हैं, यदि समाज बात मानेगी तो संगठन के पदाधिकारियों की ही मानते हैं, जिस प्रकार देश में कोई नियम लागू करना है तो यदि प्रधानमंत्री कोई नियम बनाएंगे तो वह नियम पूरे भारत के लोगों को मानना पड़ेगा और यदि वही नियम कोई आम कार्यकर्ता बनाएगा तो उसकी कोई बात नहीं मानेंगे, इसी प्रकार समाज के जो सामाजिक सुधार है वह संगठन के लोग जिले में नियम बनवाएं और उनको लागू करवाएं, और गांव में जो लोगों के अंदर परिवारों में जो फुट डली है उनको सभी को एक करें, संगठित करें, हमारा समाज बहुत ही जल्दी उन्नति की ओर अग्रसर हो जाएगा, और समाज में संगठन बनाए भी इसीलिए जाते हैं ताकि समाज में सुधार किया जा सके, समाज के हर व्यक्ति के पास इतना समय नहीं होता है और ना ही सब ऐसा कर सकते हैं इसलिए समाज में संगठन बनाए जाते हैं संगठन में लोगों को पद दिए जाते हैं ताकि वह समाज में समाज की व्यवस्था को बनाए रखें, जिस प्रकार देश की व्यवस्था को चलाने के लिए मंत्रिमंडल होते हैं, विधायक होते हैं, पार्षद होते हैं सभी को अलग-अलग विभागों के हिसाब से कामों को बांटा जाता है, क्यों कि आम आदमी यह सब नहीं कर सकते हैं इसलिए वह अपना लीडर चूनते हैं ताकि व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके, उसी प्रकार समाज में संगठन बनाए जाते हैं, ताकि समाज में व्यवस्था बनी रहे, समाज में सुधार होते रहे, समाज की उन्नति के लिए नए नए नियम बनते रहे,