फायरिंग की गुंज के बीच बसता है बछवाड़िया देवनारायण में लोकदेवता का इतिहास, युवाओं का हौसला और श्रृद्धालुओ की मदद बनी विकास मे रप्तार।
सरवानिया महाराज। यंहा से करीब दस बारह किलोमीटर दूर स्थित बावल के समीप सीआरपीएफ फायरिंग रेंज मे होने वाली फायरिंग की आव़ाज और बछवाड़िया महादेव के मंदिर मे बजने वाली घंटी की नांद जरूर हजारों कानों तक गूंजती होगी और यही पर बने बछवाड़िया डेम। ये बाते तो हरकोई जानता है लेकिन इसी फायरिंग रेंज के पास स्थित अरावली पर्वत मे लोकदेवता देवनारायण का इतिहास बसता है ये बहुत कम लोग जानते हैं। जावद तहसील मुख्यालय के नजदीकी अरावली पर्वतमाला के शिर्ष पर लोकदेवता देवनारायण का मंदिर स्थित है ।इसी मंदिर में माता साडु की भी प्रतिमा स्थापित है। पहले यंहा एक चबूतरे जैसा स्थान था बादमे यंहा लोकदेवता देवनारायण के अनुरागियों ने एक कच्चा मंदिर बना दिया। समय पलटा और सन 2019 मे अखिल भारतीय मैवाड़ा धनगर गायरी समाज ने यंहा भगवान देवनारायण का पक्का मंदिर बना दिया। अब धिरे धिरे यह स्थान विकास के साथ इतिहास की ईबारत लिख रहा है। सिढ़ियों को चढ़कर पंहुचा जा सकता है मंदिर- अरावली पर्वतमाला की गोद में इस प्राचीन और प्राकृतिक स्थान पर पहुचने के लिए करीब ढैड़ सो सिढ़ीया चढ़नी पड़ती है। जंहा से सिढ़ीया शुरू हो रही है वंहा बारिश के दिनों में जल प्रवाह होता रहता है जिसका कारण इसी पर्वत से गीरता प्राकृतिक झरना हैं। यह झरना भी यंहा आकर्षण का केंद्र है। झरने के निचे भगवान भोलेनाथ का धाम होकर करीब सवासो फीट उपर से कल कल गिरते झरने की बुंदे उनका जलाभिषेक करती रहती हैं। इसी स्थान पर विशाल चट्टान पर भगवान हनुमान का स्थान भी है। अरावली पर्वतमाला की जमी पर एक जलकुंड भी बना है जिसमें पानी रहता है। इसी के पास यंहा पर रहने वाले संत बालकदास जी का आश्रम है तो समीप मे ही समाधी स्थल है। इसलिए बछवाड़िया देवनारायण- बावल के समीप स्थित इस स्थान का नाम बछवाड़िया इसलिए पड़ा था कि भगवान देवनारायण माता साडु के साथ ननीहाल मालवा के देवास ( मध्यप्रदेश ) से मालासेरी देवडुगरी जा रहे थे तब गोवंश के समुह के साथ उन्होंने एक रात यहां नाईट होल्ड किया था तब उनके साथ गोवंश के समुह शामिल गोवंश के बच्चों को यंहा ठहराया गया था तभी से इस स्थान को बछवाड़िया देवनारायण के नाम से जाना जाता है। यंहा पर दुध दुआरी कर माता साडु द्वारा छाछ बनाई गई थी उसके निशाना आज भी यंहा मोजूद होकर उस समय की याद ताजा करतें है। विलुप्तप्राय गिद्ध के घोसलें, भंवरमाता के छत्ते- विलुप्तप्राय गिद्ध की मादा साल में दो अंडे देती हैं प्रायः इनके घोसले खेजड़ी के पेड़ों पर पाये जातें है लेकिन बछवाड़िया के स्थान पर स्थित लटकी हुई अरावली पर्वतमाला मे यंहा गिद्ध ने घोसले बना रखें है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में भंवरमाता ने भी यंहा जगह जगह छत्ते बना रखें है लेकिन किसी को भी आजदिन तक इनकी वजह से परेशानी नहीं हुई। युवाओ के होसले ने बना दिया रोड़- बावल ग्राम के करीब चालीस पचास युवक सीधे बछवाड़िया देवनारायण से जुड़े और बावल से बछवाड़िया तक पहुंचने के उबड़खाबड़ पगडंडी को फोरव्हिलर जाने जैसा बना दिया। कन्हैयालाल अहीर ने बताया कि बगैर किसी समिति के युवाओं की आस्था यंहा जोश बनकर काम कर रही हैं। वहीं मुख्य मंदिर का निर्माण अखिल भारतीय मैवाड़ा धनगर गायरी समाज ने करवाया। जनसहयोग से बछवाड़िया देवनारायण को धार्मिक तथा नीमच जिले में पर्यटन और रमणीय स्थल के रूप में उकेरने का लक्ष्य बना कर विकास कार्य किये जा रहे हैं। गोविंद पाल व सुरेश राठौर सरवानिया ने बताया कि प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान मन को सुकून देने के साथ ही दार्शनिक और धार्मिक महत्व का है। यंहा लोगों की आस्था और श्रृद्धा सर चढ़कर बोलती हैं। भगवान देवनारायण का अति प्राचीन मंदिर और प्राकृतिक झरना तथा अरावली पर्वतमाला की अनुपम छटा यहां नजर आती है। इतिहास बसता है यंहा- बछवाड़िया मे लोकदेवता भगवान देवनारायण का इतिहास बसता है ,इस ऐतिहासिक धार्मिक स्थल को सुंदर और मनोरम दर्शनीय स्थल के रुप में विकसित करने के लिए श्रृद्धालुओं के जनसहयोग से यंहा पर निर्माण कार्य प्रगतिशील है।- "संत बालकदास महाराज", निवासरत बछवाड़िया देवनारायण
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जोरदार स्थान है
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